लोगो का हमारे प्रति व्यवहार हमारा भाग्य नहीं बिगाड़ सकता | उनका व्यवहार उनका कर्म है , और उस कर्म से उनका भाग्य बनता है , हम उनके बारे मैं क्या सोचते है , उनसे कैसा व्यवहार करते है , वह हमारा कर्म है , और इससे हमारा भाग्य बनता है | Bk Shivani
अपने शब्दो को ध्यान देकर, बोलिए वरना आप खुद ही , अपना भाग्य बिगाड़ लेंगे | William Shakespeare